April 25, 2024
Sawar Ke Kitne Bhed Hote Hain

स्वर के कितने भेद है ? | Sawar Ke Kitne Bhed Hote Hain

Sawar Ke Kitne Bhed Hote Hain :- आज के इस लेख में हम जानेंगे स्वर क्या है ? ( Swar kya hai ? ) और स्वर के कितने भेद है  ( Sawar Ke Kitne Bhed Hote Hain ).

स्वर हिंदी व्याकरण का एक भाग है। जिसे खास तौर पर छोटी कक्षाओं में बच्चों को पढ़ाया जाता है। हालांकि आज इंग्लिश भाषा का चलन काफी अधिक हो गया है, लेकिन उसके बावजूद हमारी मातृभाषा यानी हिन्दी के महत्त्व में कोई कमी नहीं आई है।

आज भी स्कूलों में बच्चों को हिंदी भाषा का ज्ञान देना अनिवार्य है, क्योंकि यह हमारी मातृभाषा भाषा है और हर भारतीय को इस भाषा का ज्ञान होना आवश्यक है।

कोई भी नई भाषा सीखने से पहले उसके व्याकरण का ज्ञान होना बहुत जरूरी होता है, क्योंकि किसी भी भाषा का आधार ही व्याकरण होता है।

जिस तरह अंग्रेजी भाषा सीखने से पहले इंग्लिश ग्रामर पढ़ना और सीखना जरूरी होता है, उसी तरह हिंदी भाषा को सीखने से पहले भी हिंदी व्याकरण का ज्ञान होना व उसके नियमों को समझना जरूरी होता है।

हिंदी व्याकरण का सबसे महत्व विषय है वर्णमाला। यदि वर्णमाला की समझ नहीं होगी तो हिंदी भाषा सीखना काफी कठिन हो जाएगा। इसलिए आज हम यहां सबसे पहले हिंदी भाषा की वर्णमाला यानी  की स्वर के बारे में बात करने वाले हैं।

जी हाँ हम यहां स्वर के कितने भेद होते हैं, उसके बारे में उदाहरण सहित विस्तार से बात करेंगे।


KEY POINTS

स्वर क्या है ?

हिंदी भाषा के वह अक्षर या वर्ण जिन्हें किसी अन्य वर्णों की सहायता के बिना बोला जा सकता है उसे स्वर कहते हैं। इनका उच्चारण स्वतंत्र रूप से किया जाता है जैसे:- अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ आदि।

हिंदी भाषा में वर्णोँ का विभाजन वर्णों को बोलने में लगे समय तथा मुँह और होंठ की स्थिति के आधार पर किया गया है। इसी प्रकार स्वर वर्ण उन ध्वनियों को कहा जाता है जिनके उच्चारण में किसी दूसरे वर्ण की सहायता की आवश्यकता नहीं होती।

वर्ण के दो भेद होते हैं स्वर और व्यंजन स्वर के उच्चारण के समय किसी अन्य स्वर की आवश्यकता नहीं होती इसलिए इन्हें स्वतंत्र रूप से बोला जाता है इसलिए स्वर वर्ण कहते हैं।

सरल भाषा में कहा जाए तो वह जिन संकेतों से शब्द बनते हैं उन्हें स्वर कहा जाता है। हिंदी भाषा में स्वर वर्णों की संख्या 11 होती हैं। किसी भी भाषा का आधार उस भाषा के वर्ण ही होते है । वर्ण वे संकेत होते हैं जिनका स्तेमाल किसी भाषा को उसकी लिपि में लिखने के लिए किया जाता है।


स्वर के कितने भेद होते हैं ? | Sawar Ke Kitne Bhed Hote Hain

जैसा कि हमने जाना, कि स्वर स्वतंत्र रूप से बोले जाते हैं यानी स्वर एक पूर्ण ध्वनि है जिनके उच्चारण के समय किसी अन्य स्वर की आवश्यकता नहीं होती। स्वर एक पूर्ण ध्वनि है और ध्वनि का उच्चारण करने में समय लगता है।

हिंदी भाषा में स्वरों की संख्या 11 होती है। इन्हीं स्वरों के उच्चारण में लगने वाले समय के आधार पर इन्हें तीन भागों में बांटा गया है यानी कि स्वर के तीन भेद होते हैं।

  1. हस्व स्वर
  2. दीर्घ स्वर
  3. प्लुत स्वर

आइए एक-एक करके इन सभी स्वरों के बारे में जानते हैं सबसे पहले हस्व स्वर के बारे में जानेंगे।


1. हस्व स्वर

हस्व स्वर में उन स्वरो को लिया गया है जिन का उच्चारण करते समय बहुत कम समय लगता है। हस्व स्वर में जिन वर्णों को शामिल किया गया है, उनमें से एक मात्रा होती है, जिस वजह से उनका उच्चारण करते समय कम समय लगता है।

इन्हें मूल स्वर भी कहा जाता है यह चार होते हैं।  जैसे अ, इ, उ तथा ऋ

इनके उदाहरण से यह  बात पता चलता है, कि इन स्वरों की एक मात्रा होती है। इन स्वरों का उच्चारण करते समय दो मात्राओं वाले स्वरों की तुलना में कम समय लगता है। इन्हीं एक मात्रा वाले स्वरों को हस्व स्वर में गिना जाता है।

2. दीर्घ स्वर

दीर्घ स्वर उन्हें कहा जाता है, जिनके उच्चारण में हस्व स्वर से दोगुना समय लगता है। हस्व स्वर में एक मात्रा वाले अक्षरों को शामिल किया गया है वहीं दीर्घ स्वर में 2 मात्रा वाले स्वरों को शामिल किया गया है।

दो मात्रा होने की वजह से इन स्वरों में हस्व स्वरों के मुकाबले दुगना समय लगता है। दीर्घ स्वर संख्या में सात है । जैसे

आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ तथा औ  यह शब्द 2 शब्दों के मेल से बनते हैं इसलिए इनमें दो मात्राएं होती हैं जिस वजह से इनके उच्चारण में हस्व स्वर से दुगना समय लगता है।

3. प्लुत स्वर

प्लुत स्वर उन्हें कहा जाता है, जिनके उच्चारण में हम हस्व स्वर से 3 गुना समय लगाते हैं। ऐसे स्वरों का उच्चारण जोर से गाते समय रोते समय या किसी को पुकारने के समय किया जाता है ऐसे स्वरों को प्लुत स्वर कहा जाता है।

इन स्वरों में 3 गुना समय लगने का कारण इन अक्षरों में 3 मात्राओं का होना है। जैसे:- ओ….. म, आ……आदि।

अक्सर हिंदी भाषा में 3 मात्रा वाले शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया जाता, लेकिन वैदिक भाषा में इसका इस्तेमाल किया जाता है। प्लुत स्वर के उदाहरण में वह शब्द में शामिल है जिन का उच्चारण किसी को पुकारने के लिए किया जाता है जैसे सुनो सीता आदि।

अब तो आप यह जान गए हैं,  कि स्वर के कितने भेद होते हैं और उनके क्या-क्या प्रकार हैं तथा उन्हें किस आधार पर बांटा गया है।


अन्य भेद

दोस्तों इन 3 भेदों के अलावा स्वर के कुछ अन्य भेद भी है । जिसके बारे में हम नीचे बता रहे है

1. संयुक्त स्वर

संयुक्त स्वर का अर्थ होता है, ऐसे शब्द जो दो या दो से अधिक अक्षरों से मिलकर बने हैं उन्हें संयुक्त स्वर कहा जाता है। जैसे

अ / आ + इ / ई = ए ,   अ / आ + ए = ऐ ,   अ / आ + उ / ऊ = ओं,  अ / आ +  = औ

2. अनुनासिक स्वर

जिन स्वर वर्णों का उच्चारण नाम से किया जाता है, उन्हें अनुनासिक स्वर कहते हैं जैसे:- गांव, आंख, दाँत आदि।


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निष्कर्ष :

आज के इस लेख में हमने आपको हिंदी व्याकरण के स्वर के बारे में पूरी जानकारी दी गई है जिसमें हमने बताया कि स्वर क्या है ? Sawar Ke Kitne Bhed Hote Hain तथा इन्हें किसके आधार पर बांटा गया है।

उम्मीद करते है, कि  आपको हमारे द्वारा दी गई यह जानकारी अच्छी लगी होगी। इसी के साथ आपसे निवेदन है कि यदि आपको यह जानकारी अच्छी लगी तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें।

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