December 9, 2024
Namaz Ki Rakat

5 वक़्तों में Namaz Ki Rakat कितनी होती है ? | Namaz Ki Rakat

Namaz Ki Rakat :- सभी नमाज पढ़ने वाले इस्लामी को Namaz Ki Rakat के बारे में जानकारी होना बहुत जरूरी है, क्योंकि  हम दिन में पांच बार नमाज पढ़ते हैं और उन पांचों नमाजो में अलग-अलग रकाते होती हैं।

तो चलिए आज के इस लेख में हम Namaz Ki Rakat के बारे में जानेंगे और साथ ही नमाज की रकात के महत्व को भी समझेंगे। यदि आप भी नमाज की रकात के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी पाना चाहते हैं तो हमारे इसलिए को पूरा जरूर पढ़ें।


KEY POINTS

नमाज की रकात क्या है ? | Namaz Ki Rakat

नमाज की रकात एक दुआ होती है, जिसे नमाज पढ़ते समय पढ़ा जाता है। नमाज की रकात का अर्थ होता है नमाज में फर्ज अदा करना। नमाज की रकात खड़े होकर और झुक कर पढ़ी जाती है और कोई रकात बैठकर भी पढ़ी जाती है।

नमाज की रकात की संख्या पांचों वक्त की नमाजो में अलग-अलग होती है। दिन के 5 नमाज में फजर, जोहर, अस्त्र, मगरिब और ईशा होता है। और इन पांचो नमाजो में अलग-अलग रकाते होती हैं।


पांच वक्त की नमाज में कितनी रकात होती है ?

हम आपको अलग-अलग नमाज में अलग-अलग रकातो की संख्या बता रहे हैं :-

  1. फजर की नमाज में चार रकाते होती हैं। जिसमें 2 रकात सुन्नत की और 2 रकात फर्ज की होती है।
  2. जोहर की नमाज में कुल 12 रकाते होती हैं। जिसमें 4 रकात सुन्नत की, 4 रकात फर्ज की, 2 रकात सुन्नत की और 2 रकात नफिल की होती है।
  3. असर की नमाज में कुल 8 रकाते होती हैं। जिसमें 4 रकात सुन्नत की और 4 रकात फर्ज की होती है।
  4. मगरिब की नमाज में कुल 7 रकाते होती हैं। जिसमें 3 रकात फर्ज की, 2 रकात सुन्नत की और 2 रकात नफिल की होती है।
  5. दिन के आखिरी नमाज यानी ईशा की नमाज में कुल 17 रकात होती हैं। जिसमें 4 रकात सुन्नत की, 4 रकात फर्ज की, 2 रकात सुन्नत की, 2 रकात नफिल की, 3 रकात वित्र की, और 2 रकात नफिल की होती है।

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नमाज की रकात का महत्व ( Namaz ki Rakat ka Importance )

हर नमाज में अलग-अलग जैसे फर्ज, सुन्नत, वाजिब, नफल सुन्नते मुअक्कीदा और सुन्नते गैर मुअक्कीदा रकाते होती हैं। और इन सभी का महत्व अलग-अलग है। तो चलिए सभी के महत्व को समझते हैं।

फर्ज – हर नमाज में फर्ज रकात का पढ़ना जरूरी है। फर्ज को किसी भी हाल में छोड़ा नहीं जा सकता। क्योंकि इसको छोड़ने की कोई माफी नहीं होती है।

लेकिन यदि किसी बड़ी मजबूरी के कारण फर्ज छूट जाती है तो आप इसे दोबारा पढ़ सकते हैं। जैसा कि आप जानते हैं सभी मर्द मस्जिद में जमात के साथ ही फर्ज अदा करते हैं। लेकिन यदि छूट जाए तो यह अकेले भी पढ़ा जा सकता है।

नफ्ल -: नफरत पढ़ने से व्यक्ति को शबाब मिलता है। परंतु किसी तरह का अज़ाब नहीं मिलता इसलिए यदि यह नाभि पढ़ा जाए तो कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन कोशिश करके कि आप न फिर भी जरूर पढ़ें क्योंकि इससे आपको ही शबाब मिलेगा।

वाजिब -: वाजिब भी पढ़ना फर्ज नमाज़ की तरह जरूरी है। यदि वाजिब कोई भी व्यक्ति जानबूझकर छोड़ देता है तो उसे आजाब मिलेगा और वह गुनाहगार माना जाएगा।

सुन्नते मुअक्कीदा -: इसे फर्ज नमाज़ की तरह पढ़ना जरूरी तो नहीं है परंतु इसे छोड़ना भी वाजिब नहीं माना जाएगा। परंतु यदि आप इसे समय निकलने के बाद अदा नहीं कर सकते।

सुन्नते गैर मुअक्कीदा -: इसे भी पढ़ना सभी नमाज ओं में जरूरी होता है। क्योंकि इसे पढ़ने से उस व्यक्ति को सवाब मिलता है परंतु इसके ना पड़े जाने से कोई भी व्यक्ति गुनाहगार माना नहीं जाएगा।


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निष्कर्ष :

आज के इस लेख में हमने आपको Namaz Ki Rakat के बारे में जानकारी दी। उम्मीद है कि इसलिए के माध्यम से आप नमाज के रकात के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी होंगे। यदि आपको इसलिए से संबंधित कोई प्रश्न है तो आप हमें कमेंट कर सकते हैं।


अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्न 1ईशा की नमाज की रकात कितनी होती है ?

उत्तर - ईशा की नमाज में 17 रकात होती है।

प्रश्न 2असर की नमाज की रकात कितनी होती है ?

उत्तर - असर की नमाज की कुल 12 रकात होती है।

प्रश्न 3पांच वक्त की नमाज में कितनी रकात होती है ?

उत्तर - पांच वक्त की नमाज में कुल 48 रकात होती है।

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