Vastu vinimay kya hai :- आज के इस पोस्ट में हम बात करने वाले हैं वस्तु विनिमय के बारे में जैसे कि वस्तु विनिमय क्या है। यह एक ऐसा विषय है जिसके बारे में में नौवीं और दसवीं के छात्रों को विस्तार से बताया जाता है।
जानकारी के मुताबिक आपको बता दें, कि वस्तु विनिमय एक पुरानी आर्थिक प्रणाली है यह विषय खासतौर पर अर्थशास्त्र में आपको पढ़ने को मिलेंगे।
हालांकि वर्तमान में लोग सामान के बदले मुद्रा का भुगतान करते हैं। लेकिन पुराने समय में ऐसा नहीं किया जाता था, लोग सामान के बदले सामान ही भुगतान करते थे।
यह प्रणाली प्राचीन काल से ही चली आ रही है, जिसके अंतर्गत लोग धन का उपयोग किए बिना दो या दो से अधिक पक्षों के बीच वस्तुओं का आदान प्रदान या सेवाओं का आदान प्रदान किया करते थे।
हालांकि वस्तु विनिमय के बारे में विस्तार से जाने से पहले विनिमय क्या है यह जानना बेहद जरूरी है।
इसलिए हम सबसे पहले जानेंगे, Vastu vinimay kya hai और विनिमय कितने प्रकार के होते हैं ?
KEY POINTS
विनिमय क्या है ? | Vastu vinimay kya hai
कहते हैं, पुराने समय में मनुष्य की आवश्यकताएं सीमित हुआ करती थी और वे आत्मनिर्भर होते थे। यानी कि यदि उन्हें किसी चीज की आवश्यकता होती थी, तो वे उसकी पूर्ति खुद ही कर लेते थे।
लेकिन समय के अनुसार मनुष्य में ज्ञान और कौशल की उन्नति के साथ-साथ उनकी आवश्यकताएं भी बढ़ती चली गई और वर्तमान में मनुष्य का हाल ऐसा हो गया है, की वह अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति खुद कर ही नहीं सकते।
यानी कि ना ही उनकी आवश्यकताएं अब सीमित है और ना ही वे इतने आत्मनिर्भर है, कि अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति स्वयं कर सके। उन्हें आज दूसरों पर निर्भर होना पड़ता है अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए और ऐसे ही शुरुआत हुई विनिमय प्रणाली की।
इस प्रणाली के अंतर्गत मनुष्य अपनी जरूरत की वस्तुएं, सेवाएं या धन के बदले दूसरों से उनकी आवश्यकता की वस्तुएं, सेवाएं या धन प्राप्त करते हैं।
विनिमय के प्रकार
विनिमय का अर्थ समझने के बाद जरूरी है, इस बात को जानना कि विनिमय कितने तरह के होते हैं। जानकारी के लिए आपको बता दें, कि विनिमय दो तरह के होते हैं, जिनमें :-
- पहला है, प्रत्यक्ष विनिमय जिसे वस्तु विनिमय या अदला-बदली प्रणाली कहा जाता है।
- दूसरा है, अप्रत्यक्ष विनिमय जिन्हें द्रव्य यानी मुद्रा द्वारा क्रय विक्रय प्रणाली कहा जाता हैं।
इन दोनों विनिमय प्रणालियों के बारे में हम नीचे उदाहरण सहित विस्तार से जानेंगे।
1. प्रत्यक्ष विनिमय
प्रत्यक्ष विनिमय में जिन्हें आम बोलचाल की भाषा में वस्तु विनिमय या अदला-बदली प्रणाली कहा जाता है। यदि और सरल शब्दों में कहा जाए तो जब दो लोगों के बीच अपनी वस्तु या सेवाओं का प्रत्यक्ष रुप से लेन-देन किया जाता है, तो उसे अर्थशास्त्र की भाषा में वस्तु विनिमय प्रणाली कहा जाता है।
इस प्रणाली का उपयोग पुराने समय में किया जाता था। इसे और अच्छे से समझने के लिए हम नीचे एक उदाहरण प्रस्तुत करते हैं :-
उदाहरण के लिए :-
पुराने समय में लोग अपना सामान देकर दूसरों से अपनी जरूरत का सामान लिया करते थे। जैसे कि – ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकतर लोग आनाज देकर सब्जियां लिया करते थे.
इतना ही नहीं उन क्षेत्रों में धोबी, बढ़ाई नाई आदि अपनी सेवाओं के बदले किसानों से अनाज लिया करते थे, ऐसा करने से दोनों की जरूरत पूर्ति हो जाती थी।
2. अप्रत्यक्ष विनिमय
अप्रत्यक्ष विनिमय में उसे कहा जाता है, जब लोग मुद्रा यानी कि द्रव्य का लेन-देन करते हैं। सरल शब्दों में कहे तो जब कोई व्यक्ति किसी वस्तु या सेवा के बदले मुद्रा लेता है या मुद्रा देकर अपनी जरूरतें पूरी करता है, तो उन्हें अप्रत्यक्ष विनिमय कहा जाता है।
इस प्रणाली का प्रयोग वर्तमान समय में काफी ज्यादा किया जाता है। इसे समझने के लिए हम नीचे एक उदाहरण प्रस्तुत करते हैं :-
उदाहरण के लिए :-
सब्जियां, अनाज या कोई भी वस्तु खरीदने के लिए आज के समय में लोग मुद्रा का प्रयोग करते हैं यानी कि जब हमें कोई भी वस्तु खरीदना हो तो उसके बदले मुद्रा के माध्यम से उसका भुगतान करते हैं, उसे ही अप्रत्यक्ष विनिमय कहा जाता है।
यानी कि हम किसी का कार्य करने के लिए उनसे मुद्रा वसूलते हैं, तो उन्हें ही क्रय विक्रय प्रणाली कहते है।
वस्तु विनिमय क्या है ? ( Vastu vinimay kya hai )
वस्तु विनिमय को प्रत्यक्ष विनिमय प्रणाली भी कहा जाता है, जिससे अंग्रेजी में Bartering भी कहते हैं। इस प्रणाली के अंतर्गत लोग एक वस्तु से दूसरी वस्तु का अदला-बदली करते हैं.
जैसा कि हमने आपको ऊपर बताया इस प्रणाली का उपयोग पुराने समय में सबसे अधिक किया जाता था जिसके अंतर्गत जब भी लोगों को किसी चीज की आवश्यकता होती थी, तो वह अपनी सेवा या किसी वस्तु के बदले अपनी जरूरत की चीजें सामने वाले व्यक्ति से प्राप्त करते थे।
कई अर्थशास्त्रियों ने वस्तु विनिमय प्रणाली को अपने अपने शब्दों में लोगों को समझाने का प्रयास किया है। जिनमें से एक अर्थशास्त्री हैं प्रोफेसर जेवन्स जिन्होंने अपने शब्दों में कहा है, कि ‘अपेक्षाकृत कम आवश्यक वस्तु से अधिक आवश्यक वस्तुओं का आदान प्रदान ही वस्तु विनिमय है।
इतिहास के अनुसार यह प्रणाली आज से तकरीबन 6000 साल पहले की है, इस प्रणाली को सबसे पहले मेसोपोटामिया जनजाति ने पेश किया था, जिसके बाद फोनीशियनों ने इसे व्यापार के रूप में अपनाया।
इन लोगों ने नील नदी और उसके आसपास बसे शहरों व गांव में स्थित लोगों के लिए सामानों के साथ अदला-बदली की जिनमें हथियारों, मसालों और भोजन के लिए वस्तुओं की अदला-बदली की जाती थी।
इस प्रणाली का उपयोग लोग आम के बदले संतरे खरीदने, अनाज के बदले सब्जियां, इतिहास की पुस्तकों के बदले विज्ञान की पाठ्यपुस्तक लेना, गेहूं के बदले कपड़ा या किसी अध्यापक को उनकी सेवाओं का भुगतान अनाज के रूप में करना आदि के लिए किया जाता था।
वस्तु विनिमय की विशेषताएं
ऊपर हमने Vastu vinimay kya hai के बारे में जाना, अब हम वस्तु विनिमय की विशेषताएं के बारे में जानते है।
वस्तु विनिमय प्रणाली की कई विशेषताएं भी होती हैं, जिनके बारे में हम यहां बात करने वाले हैं। जैसे कि :-
- वस्तु विनिमय प्रणाली में हमेशा वस्तु या सेवा का लेनदेन किया जाता है हालांकि समय के साथ वस्तुओं के लेन-देन की जगह धन का हस्तांतरण किया जाने लगा है।
- वस्तु विनिमय प्रणाली में हमेशा दो या दो से अधिक पक्षों या लोगों की जरूरत होती है यानी कि केवल एक पक्ष या एक व्यक्ति से वस्तु विनिमय की प्रक्रिया संपन्न नहीं हो सकती है।
- वस्तु विनिमय प्रणाली में हमेशा वस्तुओं और सेवाओं या तो फिर धन का हस्तांतरण ऐच्छिक होता है यानी कि इस प्रणाली के दौरान किसी भी तरह का दबाव जोर जबरदस्ती नहीं किया जाता है और यदि जोर जबरदस्ती किया जाए तो उसे वस्तु विनिमय नहीं कहा जाएगा।
वस्तु विनिमय की शर्तें
वस्तु विनिमय की कुछ शर्तें भी होती हैं जिनके बारे में हम नीचे आपको विस्तार से बताएंगे, जैसे कि :-
- वस्तु विनिमय के लिए दोनों ही पक्षों की तत्परता बेहद आवश्यक है यानी कि दोनों ही पक्षों को एक दूसरे की वस्तु की जरूरत हो या दोनों उनका लेनदेन करने के लिए तत्पर हो तभी वस्तु विनिमय मुमकिन है।
- वस्तु विनिमय के लिए कम से कम 2 वस्तुएं होनी बहुत जरूरी है, जिसका वह लेनदेन कर सके। दो वस्तुओं में कोई भी वस्तु हो सकती है फिर चाहे वह द्रव्य वस्तु ही क्यों ना हो।
- वस्तु विनिमय के लिए दो पक्षों का होना बहुत जरूरी है तभी वस्तुओं का लेनदेन सम्भव है।
- वस्तु विनिमय के लिए दोनों पक्षों को लाभ होना जरूरी है यानी कि अगर इसे आसान भाषा में कहें तो एक व्यक्ति को दूसरे व्यक्ति की वस्तु की अधिक उपयोगिता होनी जरूरी है और उसी तरह दूसरे व्यक्ति को भी पहले व्यक्ति की वस्तु के अधिक उपयोगिता होना संभव है, तभी वस्तुओं का लेनदेन संभव हो पाएगा।
वस्तु विनिमय की कठिनाइयां
हालांकि यह प्रणाली आज से कई सौ साल पहले की है लेकिन इस प्रणाली में काफी कमियां भी शामिल है। कई अर्थशास्त्रियों ने वस्तु विनिमय प्रणाली में कई कमियां निकाली हैं या यू कहे तो वस्तु विनिमय प्रणाली में लोगों को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था जिसके बारे में हम यहां नीचे बात कर रहे हैं।
स्थान परिवर्तन में समस्या आना
जैसा कि हमने बताया यह प्रणाली कई 100 साल पहले की है तब लोगों के पास परिवहन के साधन नहीं हुआ करते थे। लोगों को वस्तुओं का स्थानांतरण करने में काफी समस्याएं आती थी।
एक स्थान से दूसरे स्थान पर वस्तु ले जाना काफी मुश्किल होता था। कई बार वस्तुएं रास्ते में ही खराब हो जाती थी या नष्ट हो जाती थी।
ऐसे में लोगों के लिए वस्तु विनिमय प्रणाली अत्यंत मुश्किल हुआ करते थे, क्योंकि उस समय लोग जब एक स्थान से दूसरे स्थान जाते थे तो अपनी संपत्ति या वस्तुएं अपने साथ नहीं ले जा पाते थे।
मूल्य संचय का अभाव
मूल्य संचय कर पाना काफी कठिन कार्य था, क्योंकि ज्यादातर वस्तुएं बहुत जल्द नष्ट हो जाती थी इसलिए वस्तु विनिमय प्रणाली में कुछ वस्तुओं को संचय करके अधिक दिनों तक नहीं रखा जा सकता था और इसके कई कारण हो सकते थे, जैसे कि :-
- कुछ वस्तुओं में मूल्य का काफी अंतर देखने को मिलता था।
- कुछ वस्तु को संचित करने में ज्यादा स्थान की जरूरत पड़ती थी।
- कुछ ऐसी वस्तुएं होती थी जैसे अनाज, फल, आलू, टमाटर जिन्हें संचित नहीं किया जा सकता था, क्योंकि यह वस्तुएं बहुत जल्द खराब हो जाती थी।
सामान्य मापदंड का अभाव
वस्तु विनिमय प्रणाली में सबसे मुश्किल कार्य विनिमय की दर निश्चित करना है यानी कि वस्तुओं का सही मूल्य पता करना।
उदाहरण के लिए यदि कोई व्यक्ति सब्जी का आदान प्रदान करना चाहता है, तो उसे सब्जियों का मूल्य बाजार में उपलब्ध हर वस्तु यानी कपड़े के रूप में, दूध के रूप में, अनाज के रूप में आदि पता होना बहुत जरूरी है, ताकि लोगों को यह पता रहे कि सब्जी के बदले लोगों को कितना कपड़ा, कितना अनाज या कितना दूध देना चाहिए। हालांकि यह याद रखना कोई असंभव कार्य नहीं है, लेकिन अत्यंत कठिन कार्य है।
दोहरे संयोग में कमी
वस्तु विनिमय तभी संभव हो पाता है, जब दो ऐसे व्यक्ति आपस में वस्तुओं का आदान प्रदान करें जब उन्हें एक दूसरे के वस्तुओं की आवश्यकता हो। यानी कि यदि पहले व्यक्ति के पास अनाज है और उन्हें सब्जियों की आवश्यकता है तथा दूसरे व्यक्ति के पास सब्जियां है, लेकिन उन्हें अनाज की आवश्यकता है, तो ऐसे व्यक्ति आपस में अनाज और सब्जियों का लेनदेन कर सकते हैं।
लेकिन ऐसा व्यक्ति तलाश करना कोई सरल कार्य नहीं होता ऐसे व्यक्ति की तलाश में लोगों का समय और शक्ति दोनों ही व्यर्थ नष्ट होते हैं। तब ऐसी परिस्थिति को दोहरे संयोग में कमी कहते हैं.
For More Info Watch This :
निष्कर्ष :
दोस्तों आज की इस लेख में हमने जाना कि वस्तु विनिमय क्या है ? | Vastu vinimay kya hai, विनिमय कितने तरह के होते हैं, वस्तु विनिमय के लिए क्या शर्ते होती हैं और वस्तु विनिमय प्रणाली के दौरान क्या क्या कठिनाइयां आती है।
उम्मीद करते हैं, ऊपर बताई गई वस्तु विनिमय से संबंधित जानकारियां आपको अच्छी तरह से समझ आ गई होगी।
लेकिन इसके बावजूद यदि आपको इस विषय से संबंधित और अधिक जानकारी चाहिए या इस विषय को लेकर आपके मन में कोई प्रश्न आ रहे हो, तो नीचे कमेंट सेक्शन में कमेंट के माध्यम से प्रश्न पूछ सकते हैं, आपके प्रश्नों का उत्तर देना हमारा कर्तव्य है।
यह पोस्ट आपको पसंद आई हो, तो इसे शेयर करें ताकि यह जानकारी और लोगों तक पहुंच सके।
Read Also :-
- IBomma App: latest movies with Updates and Details
- Exynos 9825 Vs Snapdragon 855 Processor
- Exynos 9825 processor-Antutu, Features
- Operation black board Kya Hai और इसके उद्देश्य क्या क्या थे ?
- OPS क्या होता है और इसका अर्थ क्या होता है ? | OPS full form in Hindi
- How Are You Doing Meaning In Hindi | How Are You Doing का अर्थ क्या होता है ?
- 1 डिसमिल में कितने वर्ग फुट होता हैं ? | 1 Dismil Kitna Hota Hai
- एक गज में कितने फुट होते है ? | 1 Gaj Mein Kitne Foot Hote Hain
- 1 मन में कितने kg होता है ? | 1 Mann in kg
- जनसंख्या की दृष्टी से सबसे बड़ा देश कौन सा है ? | Jansankhya Ki Drishti Se Sabse Bada Desh
- It’s Ok meaning in Hindi | इट्स ओके का क्या मतलब है ?
- Hindustan Ka Badshah Kaun Hai | हिंदुस्तान में बादशाह कौन है?
- लिंग ( व्याकरण ) का परिभाषा, भेद और उदाहरण | Ling Ke Kitne Bhed Hote Hain
- भारत के शिक्षा मंत्री वर्तमान में कौन हैं ? | Bharat Ke Shiksha Mantri Kaun Hai
- अलंकार की परिभाषा, भेद और उदाहरण सहित पूरी जानकारी | Alankar Kise Kahate Hain
- Lots of love meaning in hindi | Lots of Love का मतलब क्या होता है।
- WiFi Kaise Connect Kare Free वाईफाई कैसे कनेक्ट करे 4Step में
- QR code क्या है और यह कैसे काम करता है ? | QR Code Kya Hota Hai
- पंजाब की राजधानी क्या है ? | Punjab Ki Rajdhani Kya Hai 2022
- ओक पेड़ के बारे में अद्भुत जानकारी | oak tree in hindi
- लिंम्फोसाइट्स क्या है ? Lymphocytes Meaning in Hindi
- एक इंच में कितने mm होते है ? | 1 inch me Kitne mm Hote Hai
- Chapri का मतलब क्या होता है ? | Chapri meaning in hindi
- भारत में कितनी भाषा बोली जाती है ? | Bharat Mein kitni Bhasha Boli Jati Hai
- 800+ बिना मात्रा वाले शब्द व वाक्य | Bina Matra Wale Shabd
- बोल्शेविक क्रांति कब हुई ? | Bolshevik Kranti Kab Hui
- संधि किसे कहते हैं | संधि के कितने भेद होते हैं ? | Sandhi kise kahate hain
- सूचक क्या है ?, उदहारण सहित समझे | Suchak kya hai
- स्वर के कितने भेद है ? | Sawar Ke Kitne Bhed Hote Hain
- Brahman Ko Kabu Kaise Kare – ब्राह्मण को काबू कैसे करे ?
- जर्मनी के एकीकरण की बाधाएं क्या थी ?
- कब्र पर मिट्टी डालने की दुआ | Mitti Dene ki Dua
- विमल कंपनी का मालिक कौन है? | Vimal Company Ka Malik Kaun Hai
- काली घटा का घमंड घटा में प्रयुक्त अलंकार कौन सा है ?
- Miya bhai ko kaise kabu kiya jaaye – भूल मत मिया कौन है ?