November 12, 2024
Sandhi kise kahate hain

संधि किसे कहते हैं | संधि के कितने भेद होते हैं ? | Sandhi kise kahate hain

Sandhi kise kahate hain :- आज के इस Article में हम आपको संधि के बारे में संपूर्ण जानकारी देने जा रहे हैं। जी हाँ आज के इस लेख में हम संधि किसे कहते है ? ( Sandhi kise kahate hain ) तथा संधि के कितने भेद होते हैं ( Sandhi Ke Kitne Bhed Hote Hain ) के बारे में बात करेंगे।

इसके अलावा हम व्यंजन और संधि पर भी बात करेंगे। यदि आप संधि को अच्छी तरह से समझना चाहते हैं, तो Article में अंत तक बने रहे। इस लेख को पढ़ने के बाद आप स्वर संधि, दीर्घ संधि, गुण संधि, वृद्धि संधि और यण संधि इत्यादि के बारे में जान जाएंगे।


KEY POINTS

संधि किसे कहते हैं ? | Sandhi kise kahate hain

हिंदी भाषा में प्रयोग किए जाने वाले ऐसे शब्द जो 2 शब्दों को जोड़कर बनाए जाते हैं, उन्हें संधि कहा जाता है। व्याकरण ही भाषा का आधार होती है। और भाशा को अच्छी तरह से समझने के लिए व्याकरण का ज्ञान होना अति आवश्यक है। संधि व्याकरण का अभिन्न अंग है।

आसान भाषा में कहा जाए तो संधि का अर्थ होता है मेल या मिलाना। आमतौर पर संधि में 2 शब्दों को मिलाने पर पहले शब्द की अंतिम ध्वनि दूसरे शब्द की पहली ध्वनि से मिलकर एक नए शब्द का निर्माण होता है। और इसी प्रक्रिया को संधि कहते हैं।

उदाहरण के लिए

  • नवागत = नव + आगत
  • स्वार्थी =  स्व + अर्थी
  • महोदय = महा + उदय

संधि के विपरीत होने वाली प्रक्रिया को संधि विच्छेद कहा जाता है। जब संधि द्वारा निर्मित किसी शब्द को तोड़ कर अलग अलग लिखा जाता है तो यह संधि विच्छेद होता है।

उदाहरण के लिए

  • विद्या + अर्थी = विधार्थी
  • भोजन + आलय = भोजनालय
  • विद्या + आलय = विद्यालय
  • सत्य + आग्रह = सत्याग्रह

संधि के कितने भेद होते हैं ? ( Sandhi Ke Kitne Bhed Hote Hain )

जानकारी के अनुसार संधि के तीन प्रकार या भेद होते हैं। जैसे कि –

  1. स्वर संधि
  2. व्यंजन संधि
  3. विसर्ग संधि

जिनके बारे में हम नीचे और विस्तार से बात करने वाले  हैं।


1. स्वर संधि किसे कहते हैं ?

जब संधि में दो शब्दों को जोड़ा जाता है और दो स्वरों का मिलन होता है, तो इससे होने वाले परिवर्तन को स्वर संधि कहा जाता है।

उदाहरण

देव + आगमन = देवआगमन

रजनी + ईश = रजनीश

हालाकि स्वर संधि के भी पांच भेद होते हैं, जो कि निम्न प्रकार हैं–

  1. दीर्घ संधि
  2. गुण संधि
  3. वृद्धि संधि
  4. यण संधि
  5. अयादि संधि

1. दीर्घ संधि किसे कहते हैं ?

दीर्घ शब्द का अर्थ होता है बड़े या लंबे अंतराल वाला। इसलिए जब भी संधि में अ,इ,उ स्वर आता है तो इन के मिलन से एक दीर्घ स्वर उत्पन्न होता है। दीर्घ संधि की नियमावली निम्न प्रकार है –

उदाहरण के लिए  –

(अ + अ = आ )

(अ+आ = आ)

(इ + इ = ई)

(इ + ई = ई)

(इ + ई = ई)

(ई + इ = ई)

(ई + ई = ई)

(उ + उ = ऊ)

(उ + ऊ = ऊ)

(ऊ + उ = ऊ)

(ऊ + ऊ = ऊ )

2 . गुण संधि किसे कहा जाता है ?

संधि से मिलकर बने शब्दों में जब भी ‘अ’ और ‘आ’ के बाद ‘इ’ या ‘ई’, ‘उ’ या ‘ऊ’ और ऋ स्वर आता है तो इन के मिलन से क्रमशः ‘ए’ ‘ओ’ और ‘अर्’ स्वर की उत्पत्ति होती है। गुण संधि की नियमावली निम्न प्रकार है–

उदाहरण

(अ + इ = ए )

(अ + ई = ए )

(आ + इ = ए)

(आ + ई = ए )

( अ + उ = ओ )

(अ + ऊ = ओ )

(आ + उ = ओ )

( आ + ऊ = ओ )

( अ + ऋ = अर् )

(आ + ऋ = अर् )

3. वृद्धि संधि किसे कहते हैं ?

वृद्धि संधि का नियम यह कहता है कि ‘अ’ या ‘आ’ की संधी यदि ‘ए’ या ‘ऐ’ से की जाए तो बड़ा ‘ऐ’ हो जाएगा। और यदि ‘अ’ और ‘आ’ की संधि ‘ओ’ या ‘औ’ से की जाए तो ‘औ’ हो जाता है। यही इसका नियम भी है।

4. यण संधि किसे कहते हैं ?

यण संधि के लिए नियमावली निम्न प्रकार है। जैसे-

(इ + अ = य)

(इ + आ = या )

(इ + उ = यु )

(उ + अ = व)

(उ + आ = वा )

(उ + इ = वि )

(ऋ + अ = र)

5. अयादि संधि किसे कहते है ?

जहां पर भी ‘ए’ , ‘ऐ’ , ‘ओ’ , ‘औ’ स्वरो का मेल दूसरे स्वरों से हो तो ‘ए’ का ‘अय’ ‘ऐ’ का ‘आय’ और ‘ओ’ का ‘अव’ , ‘औ’ का ‘आव’ हो जाता तो यहां पर अयादि संधि होती है। अयादि संधि की नियमावली निम्न प्रकार है।

(ए + अ = आय)

(ऐ + अ  = आय)

(ओ + अ = अव )

(औ + अ = आव)


2. व्यंजन संधि

व्यंजन वर्ण में किसी स्वर या व्यंजन की संधि हो जाने से जो परिवर्तन होता है उसे व्यंजन संधि कहा जाता है।

उदाहरण

वाक् + ईश = वागीश

सत् + जन = सज्जन

व्यंजन संधि के लिए नियम निम्न प्रकार हैं –

  • प्रत्येक वर्ग में पहले वर्ण का तीसरे वर्ण में बदल जाना।
  • प्रत्येक वर्ग के पहले वर्ण का पांचवे वर्ण में बदल जाना।
  • न संबंधी नियम।

नियम 1

प्रत्येक वर्ग में पहले वर्ण का तीसरे वर्ण में बदल जाना।

उदाहरण के लिए

(क् से ग् होना)

  • दिक् + गज = दिग्गज
  • दिक् + अंत = दिगंत

(च् से ज् होना)

  • अच् + अंत = अजंत

(ट् से ड् होना)

  • षट् + आनन = षडानन

(त् से द् होना)

  • भगवत् + भजन = भगवद्भजन

(प् से ब् होना )

  • अप् + धि = अब्धि

नियम 2

प्रत्येक वर्ग के पहले वर्ण का पांचवे वर्ण में बदल जाना।

उदाहरण के लिए

(क् से ङ् होना)

  • वाक् + मय = वाङ्मय

(ट् से ण् होना)

  • षट् + मुख = षण्मुख

(त् से न् होना)

  • उत् + मत्त = उन्मत्त
  • चित् + मय = चिन्मय

नियम 3

न संबंधी नियम

उदाहरण के लिए  –

  • परि + नाम = परिणाम
  • प्र + नाम = प्रणाम
  • राम + अयन = रामायण

नियम 4

त संबंधी नियम

उदाहरण के लिए  –

  • उत् + चारण = उच्चारण
  • जगत् + छाया = जगच्छाया

‘त्’ के बाद यदि ‘ज’ ,’झ’ हो तो ‘त्’ ज मैं बदल जाता है।

  • सत् + जन = सज्जन
  • जगत् + जननी = जगज्जननी
  • उत् + ज्वल = उज्जवल

3. विसर्ग संधि किसे कहते हैं ?

विसर्ग संधि में स्वर या व्यंजन के बाद विसर्ग आ जाने से जो परिवर्तन होता है उसे: संधि कहते हैं। विसर्ग संधि की नियमावली निम्न प्रकार है –

1. विसर्ग का ‘ओ’ हो जाता है।

  • मन: + अनुकूल = मनोनुकूल
  • तप: + बल = तपोबल
  • वय: + वृद्ध = वयोवृद्ध
  • पय: + द = पयोद
  • मन: + योग = मनोयोग

2. विसर्ग का ‘र्’ हो जाता है।

  • नि: + आशा = निराशा
  • नि: + धन = निर्धन
  • दु: + ऊह = दुरुह
  • बहि: + मुख = वहिर्मुख
  • दु: + उपयोग = दुरुपयोग

3. विसर्ग का ‘श’ हो जाता है।

  • नि: + चिंत = निश्चित
  • नि: + छल = निश्छल

4. विसर्ग का ‘ष’ हो जाता है।

  • नि: + कपट = निष्कपट
  • नि: + फल = निष्फल
  • नि: + प्राण = निष्प्राण

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निष्कर्ष :

आज के इस article में हमने आपको संधि किसे कहते हैं ? ( Sandhi kise kahate hain ) तथा संधि के कितने भेद होते हैं ( Sandhi Ke Kitne Bhed Hote Hain ) के बारे में बताया।

उम्मीद करते हैं, कि आपको इस article में बताई गई सभी जानकारी अच्छी तरह से समझ में आ गई होगी। यदि आपको यह article अच्छा लगा है तो इसे अपने दोस्तों व रिश्तेदारों के साथ share अवश्य करें।

Article से संबंधित किसी भी प्रश्न या फिर विचार को हम तक पहुंचाने के लिए comment section में अवश्य लिखें।


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